सीएम योगी आदित्यनाथ के महराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ ने दीक्षान्त समारोहों

सीएम योगी आदित्यनाथ के महराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ ने दीक्षान्त समारोहों में पहने जाने वाले गाउन का विकल्प देकर 11 साल पहले शिक्षा जगत में खलबली मचा दी थी। उस वक्त कालेज का ये कदम सुर्खियों में था। 2009 में पहली बार किसी कालेज के समापवर्तन (दीक्षान्त समारोह) संस्कार समारोह में गाउन की बजाए छात्र वासंती कुर्ता-धोती तो छात्राएं वासंती साड़ी में नज़र आईं। 23 फरवरी को एक बार फिर कालेज के विद्यार्थी इसी पोशाक में स्वामी विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष पद्मश्री निवेदिता भीड़े की मौजूदगी में उपाधियां ग्रहण करेंगे। 


वासंती पोशाक में समापवर्तन संस्कार समारोह की पहली तस्वीरों ने तब भारतीय शिक्षण संस्थानों में विदेशी संस्कृति की पहचान गाउन के इस्तेमाल पर नई बहस खड़ी कर दी थी। तब सांसद रहे (अब मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘अपनी परम्परा और संस्कृति से अनजान लोग विदेशी जूठन को अच्छा मानते हैं। यह आश्चर्य है कि उपनिषद के मंत्र होते हैं और गाउन में हम अपने स्नातक से अपनी परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने की उम्मीद करते हैं।’ 


यह बहस गोरखपुर के कालेजों और विश्वविद्यालय में तो चल ही रही थी, संयोग से राष्ट्रीय पटल पर भी उभरने लगी। दो अप्रैल 2010 को भोपाल के एक दीक्षान्त समारोह में तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ब्रिटिश औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक बताया। त्रिपुरा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मणिक सरकार और बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने भी इससे मुक्ति पर राष्ट्रीय बहस का आह्वान किया था। 2010 में ही लखनऊ विश्वविद्यालय में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी ‘अंगवस्त्रम’ या कोई लखनवी पोशाक पहनने की सलाह दी। एमपीपीजी के प्राचार्य डा.प्रदीप राव कहते हैं, ‘पहले विद्यार्थी और शिक्षक बेमन से गाउन पहनते थे। स्वदेशी पोशाक में विद्यार्थियों का उत्साह देखते ही बनता है। अभिभावकों, शिक्षकों सहित सभी ने महाविद्यालय के इस कदम को सराहा है।’


डीडीयू ने 2018 में बदला ड्रेस कोड 
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने 2018 में अपने 37 वें दीक्षान्त समारोह में ड्रेस कोड बदल दिया। गाउन की जगह उत्तरीय दी गई। विद्वत परिषद के लिए जैकेट भी निर्धारित किया गया। इधर, महराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ ने 2011 में समापवर्तन संस्कार समारोह में मंच पर रहने वाले अतिथियों के लिए भी उत्तरीय निर्धारित कर दी। छात्रों और प्राचार्य के लिए वासंती धोती कुर्ता और छात्राओं के लिए वासंती साड़ी 2009 से निर्धारित थी। 2018 में इसमें साफा भी जोड़ दिया गया। 


चरित्र निर्माण का है पद्मश्री निवेदिता भीड़े का अभियान 
सामाजिक क्षेत्र में योगदान कर रहीं विवेकानंद केद्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष निवेदिता भीड़े को वर्ष 2017 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। वह 1977 से विवेकानंद्र केंद्र कन्याकुमारी से आजीवन कार्यकर्ता के रूप में जुड़ी हैं। उनका अभियान शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और चरित्र निर्माण पर केंद्रित है। भारत सहित विश्व के कई देशों में इन विषयों पर उनके व्याख्यान हुए हैं। वह भारतीय शिक्षा पद्धति के संदर्भ में विद्यालयी शिक्षकों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। 


‘समावर्तन-2020’ का होगा लोकार्पण


समारोह में ‘समावर्तन-2020’ का लोकार्पण भी किया जाएगा। प्राचार्य डा.प्रदीप राव ने बताया कि समारोह पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होगा। विवेकानंद केंद्र कन्‍याकुमारी की उपाध्‍यक्ष निवेदिता भीड़े मुख्‍य अतिथि होंगी। अध्यक्षता डीडीयू विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर विजय कृष्ण सिंह करेंगे। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष पूर्व कुलपति प्रो.यू.पी.सिंह खासतौर पर मौजूद रहेंगे।